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स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई

आदर्श समाज समिति इंडिया ने किया नेताजी की फोटो का विमोचन

झुंझुनू, आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में गाँधी कृषि फार्म सूरजगढ़ में आजादी के दीवाने आजाद हिंद फौज के सेनापति, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष, महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वाधीनता संग्राम के उन योद्धाओं में से एक थे, जिनका नाम और जीवन आज भी करोड़ों देशवासियों को मातृभमि के लिए समर्पित होकर कार्य करने की प्रेरणा देता है। नेताजी ने आजाद हिंद फौज को संबोधित करते हुए कहा था- “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा”। खून भी एक दो बूंद नहीं बल्कि इतना कि खून का महासागर तैयार हो जाये और उसमें ब्रिटिश साम्राज्य को डूबो दूँ।” नेताजी के क्रांतिकारी विचारों से आभास होता है कि ‘एक व्यक्ति एक विचार के लिए मर सकता है, लेकिन वह विचार उसकी मृत्यु के बाद लोगों के लिए प्रेरणा बन जाता है। ‘इतिहास गवाह है कि कोई भी वास्तविक परिवर्तन चर्चाओं से कभी नहीं हुआ’। इन महान विचारों से युवाओं में देशभक्ति का संचार करने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने जयहिंद और दिल्ली चलो जैसे नारे देकर देशवासियों में देशप्रेम की भावना जागृत करते हुए स्वाधीनता की अलख जगाई। आजादी की लड़ाई में बहुत सारे क्रांतिवीर शहीद हुए। स्वतंत्रता सेनानियों के लंबे संघर्ष के बाद भारत को आजादी मिली। हमें आजादी के मूल्यों को समझना चाहिए। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने कहा- आजादी की लड़ाई में भाग लेने वाले सभी स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान किया जाना चाहिए। वोटों के लिए महापुरुषों के नाम पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। कुछ लोग राजनीतिक स्वार्थ साधने के लिए महापुरुषों के बीच में मतभेद पैदा कर रहे हैं। जिन लोगों का देश की आजादी और राष्ट्रनिर्माण में कोई योगदान नहीं रहा, वह लोग महात्मा गांधी और सुभाषचंद्र बोस के बीच मतभेद पैदा कर रहे हैं।

कुछ लोग पंडित जवाहरलाल नेहरू सुभाषचंद्र बोस के बीच में मतभेद पैदा कर रहे हैं तो कुछ लोग पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल के बीच में मतभेद पैदा कर रहे हैं जबकि ऐसा कुछ नहीं था। सभी एक दूसरे का सम्मान करते थे और सभी ने अपने स्तर पर भारत को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। महात्मा गांधी के लिए सुभाष चंद्र बोस के दिल में कितना सम्मान था, यह उनके पत्रों और भाषणों को पढ़ने से मालूम हो जायेगा। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जब 1944 में कस्तूरबा गांधी की मृत्यु जेल में हो गई थी तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने रंगून रेडियो से जो बयान प्रसारित किया वह हर देशवासी को सुनना चाहिए और नेता जी ने संवेदना व्यक्त करते हुए गांधी जी को जो पत्र लिखा, वह भी पढ़ना चाहिए। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का पंडित जवाहर नेहरू से आत्मीय रिश्ता था, जो जीवन भर कायम रहा। 1945 में नेहरू जी को जब नेताजी के विमान हादसे की खबर मिली तो वह पहली बार सबके सामने फूट- फूटकर रहे थे। इससे पहले पंडित जवाहरलाल नेहरू सार्वजनिक रूप से कभी नहीं रोये थे। जाहिर है पंडित जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस की दोस्ती आजीवन बनी रही। क्रांतिकारी भगत सिंह हिंदुस्तान के लिए पंडित नेहरू और सुभाष चन्द्र बोस की अहमियत भली-भांति जानते थे। 1928 में भगत सिंह ने एक समाचार पत्र में लिखा था कि “सुभाष बोस परिवर्तनकारी हैं जबकि पंडित नेहरू युगांतरकारी”। फांसी दिए जाने से दो घंटे पहले जब भगत सिंह के वकील उनसे मिलने पहुंचे तो भगत सिंह ने कहा था कि पंडित नेहरू और सुभाष बोस को मेरा धन्यवाद कहना, जिन्होंने मेरे केस में गहरी रूचि ली थी। आज देश के राष्ट्रनिर्माताओं की भूमिका को अलग-अलग देखने की बजाय महापुरुषों के जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेकर राष्ट्रहित में योगदान देने की आवश्यकता है। जयंती के अवसर पर हम स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस को नमन करते हैं। इस मौके पर आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी, राजेंद्र कुमार, चाँदकौर, रवि कुमार, सुनील गांधी, पिंकी नारनोलिया, दिनेश कुमार, सोनू कुमारी, अंजू गांधी, अमित कुमार आदि अन्य लोग मौजूद रहे।

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