दांतारामगढ़, [लिखा सिंह सैनी ] गौड़ राजपूत शासन के समय से ही घाटवा एक ऐतिहासिक स्थान रहा है।मारोठ के तत्कालीन राव रिडमल ने माधो डूंगर पर दुर्ग की नीव लगाई थी,उसी समय शिवलिंग की स्थापना की थी परंतु शेखावाटी के संस्थापक महाराव शेखा एवं गौड़ राजपूतों के मध्य ऐतिहासिक खुंटिया का युद्ध होने के कारण दुर्ग नही बन सका।वर्ष 2015 में ग्राम के प्रबुधजनो ने माधो डूंगर पर पार्थिव शिवलिंग की स्थापना की एवं मंदिर जिर्णोदार का संकल्प लिया। 27 जुलाई 2016 को मंदिर निर्माण पूर्ण होकर विधि विधान से शिवलिंग स्थापना की।मंदिर आसपास के क्षेत्र का एक सुंदर पर्यटन स्थल है।पर्यावरण शुद्धि के लिए मंदिर परिसर में काफी वृक्षारोपण किया गया है। वर्तमान में 155 प्रकार के वृक्ष एवं पौधे परिसर में लगे हुए है। पेयजल के लिए पहाड़ के नीचे विधायक विजय सिंह चौधरी के विधायक कोटे से ट्यूबवेल बनाया हुवा है, पहाड़ पर पानी चढ़ाने के लिए काना राम पिपरालिया ने पाइप, मोटर आदि समस्त समान भेंट किया, पहाड़ पर 25000 लीटर पानी की क्षमता की टंकी सेवानिवृत कैप्टन इंद्र सिंह राठौड़ ने बनवाई,मंदिर परिसर में समस्त निर्माण कार्य नारायण कुमावत पूर्व पंचायत समिति सदस्य की देख रेख में हुवा।मंदिर परिसर में वृक्षारोपण भंवर सिंह बडगुर्जर के सार्थक प्रयासों से हुवा,भंवर सिंह एवं मंदिर के श्री महंत रामदास महाराज बराबर पेड़ पौधो की देखभाल करते है।मंदिर निर्माण में स्व सुवालाल सैनी का भी अतुलनीय योगदान रहा,उनके निधन के बाद उनका पूरा परिवार मंदिर विकास समिति से जुड़ा हुवा है।
राज्य सरकार ने वर्ष 2023 के बजट में घाटवेश्वर महादेव मंदिर को पर्यटन स्थल घोषित किया है,इस कार्य में पूर्व विधायक एवं राज्य सरकार के उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है,उनकी अनुशंसा से ही यह स्थान पर्यटन स्थल घोषित हुवा हैं।मंदिर के विकास में रमेश पारीक एडवोकेट एवं हीरा लाल कुमावत अभियोजन अधिकारी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 8 मार्च को महाशिवरात्रि पर्व पर घाटेश्वर मंदिर माधों डूंगर पर मेले का आयोजन किया जाएगा। महाशिवरात्रि पर दिनभर मंदिर में धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।