कई गुप चुप तरिके से घोषित प्रत्याशियों की कार सेवा करने की मंत्रणा में जुटे तो कुछ बजा चुके बगावत का बिगुल
झुंझुनू, भाजपा द्वारा अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करने के बाद से ही बगावत के सुर पूरे प्रदेश में सुनाई देने लगे हैं। भारतीय जनता पार्टी जो अब तक कुलीनों की पार्टी कही जाती थी और विपक्षी पार्टी में ऐसा फैला हुआ रायता देखने को मिलता था। लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी में महज 200 में से 41 प्रत्याशियों की घोषणा होने के साथ ही रायता फैला हुआ नजर आ रहा है। आखिर कौन है इस फैले हुए रायते या फिर बगावत का जिम्मेदार। देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी की जो नीति और रणनीति इन 41 सीटों पर प्रत्याशियों को घोषित करने में रही है उसके बाद बजे बगावत के बिगुल को देखकर लगता है कि यह रणनीति पूरी तरीके से फेल हुई है। कई स्थानों पर देखा गया कि पिछले विधानसभा चुनाव में जिन प्रत्याशियों ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के विरुद्ध ही बगावत का बिगुल बजाया था उन्हीं को अबकी बार भाजपा ने अपना प्रत्याशी बना दिया है। जिसके चलते कई क्षेत्रों में जहां पर सांसदों को उम्मीदवार बनाया गया है या अन्य लोगों को उम्मीदवार बनाया गया है। वहां से भी लोगों ने अब बगावत करनी शुरू कर दी है। क्योंकि उनको लगने लगा है कि पार्टी को अपने होने का एहसास नहीं करवाया तो वह हमेशा के लिए ऐसे ही बार-बार हाथ मलते रह जाएंगे। वही जिस तरीके से गत बार के बागियों को भाजपा ने प्रत्याशी घोषित किया है, उसके साथ ही जो दूसरे क्षेत्र के भाजपा के लोग थे उन्होंने भी अब बगावत करने की लगभग ठान ली है।
इसका ताजा उदाहरण है कि झुंझुनू जिले के मांडवा विधानसभा क्षेत्र से भी अब बगावत के पूरे पूरे आसार नजर आने लगे हैं। मंडावा विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान में झुंझुनू से सांसद नरेंद्र खीचड़ को प्रत्याशी बनाया गया है जिसके चलते दूसरी पंक्ति के नेताओं में अच्छी खासी नाराजगी देखी जा रही है। इनमें से कुछ टिकट के जो आशार्थी थे वह गुप् चुप तरीके से अपने काम को अंजाम देने की योजना बना रहे हैं। वहीं कुछ लोग अब धीरे-धीरे खुली बगावत का भी मन बनाने लगे हैं। मंडावा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा नेता कृष्ण कुमार जानू तो इन दिनों सोशल मीडिया पर खुलेआम अपनी बात को लिख रहे हैं। वही कल झुंझुनू के एक निजी होटल में मंडावा विधानसभा से टिकट की अपेक्षा रखने वाले प्रत्याशी गणों ने एक तरह से अपनी बगावत का खुला संकेत दे दिया है जो की पार्टी के लिए बड़ी चिंता की विषय है।
भाजपा के आला कमान ने जहां पर इस चुनाव में वसुंधरा राजे को किनारे लगने पर ही पूरा फोकस रखा। वही इस प्रक्रिया में जिन लोगों को उम्मीदवार बनाया जा रहा है इसके क्या साइड इफेक्ट होंगे शायद इन पर अच्छे तरीके से मंथन नहीं किया गया, जिसके चलते ही भाजपा को पहली सूची जारी करते ही बगावत का सामना करना पड़ रहा है। वही आगे की दूसरी सूची जारी करने में भी भाजपा को परेशानी और देरी का सामना करना पड़ रहा है। बहरहाल भाजपा जहां पहले सूची जारी करके अपने को एडवांस साबित करना चाहती थी वहीं अब यह बात उसके लिए गले की फांस बनती जा रही है। इन क्षेत्रो में पर उठ रही बगावत को समझाइश करने का प्रयास किया जाए या फिर अन्य विधानसभा क्षेत्र के जो प्रत्याशी हैं उनकी लिस्ट की तरफ अपना ध्यान डायवर्ट किया जाए। बड़े नेता इसी पेशो पेश में पड़े हुए दिखाई देते हैं।
शेखावाटी लाइव ब्यूरो रिपोर्ट