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पीने के पानी की समस्या को लेकर ग्रामीणों ने किया विरोध प्रदर्शन

पीएचडी विभाग सो रहा कुंभकरण की नींद, लोग पीने के पानी की समस्या से है परेशान

उदयपुरवाटी, विधानसभा क्षेत्र के जल संघर्ष समिति के तत्वाधान में पीने की पानी की समस्या को लेकर किशोरपुरा, गुड़ा ढ़हर सहित दर्जनों गांवों के ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में उपलब्ध वर्तमान पानी की स्थिति काफी परेशानी का सबब बना हुआ है। जो पानी है वह भी पीनी योग्य नहीं है। शुद्ध पीने के पानी की भयंकर किल्लत है।जिससे क्षेत्र की महिलाएं सुबह से शाम तक दिन भर पीने के पानी के लिए 2 से 3 किलोमीटर तक पैदल चलकर पानी का जुगाड़ करती हैं। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि पीने के पानी का मात्र समाधान कुंभाराम लिफ्ट योजना लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं का कहना है कि यहां आस-पास में कई ढ़ाणियों के मध्य पानी की टंकी बनी हुई है, लेकिन शुद्ध उनमें जल नहीं होने के कारण पानी की टंकियां खुद बीमारू बन गई है। लगभग 500 से ₹600 प्रति टैंकर खर्च करने के बावजूद भी कहीं भी शुद्ध पीने का पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है। क्योंकि फ्लोराइड युक्त पानी से घर का हर व्यक्ति किसी ने किसी रूप में बीमारी से ग्रसित हो रहा है। संघर्ष समिति के नाथूराम ने बताया कि आसपास की ढ़ाणियों में शुद्ध जल उपलब्ध नहीं होने के कारण ग्रामीणों में काफी आक्रोश है। जलदाय विभाग के अधिकारी कुंभकरण की नींद सोए हुए हैं बार-बार संघर्ष समिति के द्वारा अवगत करवाने के बावजूद भी इस समस्या को लेकर जलदाय विभाग के अधिकारी गंभीर नहीं है। संघर्ष समिति के संयोजक के के सैनी बताया कि संघर्ष समिति के तत्वाधान में 3 महीने पहले ही पीएचडी विभाग को जगाने का काम किया था। लेकिन आज तक विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी कुंभकरण की नींद में सोए हुए हैं। पीने के पानी की टैंकर सप्लाई अभी तक कंप्लीट नहीं होने के कारण लोगों में काफी आक्रोश है।दो-तीन दिन में पीएचडी विभाग के अधिकारी इस प्रक्रिया को पूर्ण नहीं करते है, तो जन आंदोलन किया जाएगा। जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन में प्रशासन की होगी। इस दौरान झुम्मा देवी, कोयली देवी, राजबाला, श्योपाली, विमला, शारदा, चावली, मुली, ग्यारसी, संजू, अनीता, सुआ देवी, जितेंद्र, शंकर, भजनाराम, विजय कुमार, प्रियांशु, सुनील, मालीराम, मदनलाल सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे।

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