झुंझुनूताजा खबरशख्सियत

इस राष्ट्रीय कार्यक्रम को झुंझुनू में भी लागू करवाना चाहते है जिला कलेक्टर

ये कलेक्टर कुछ हटके है

आईएएस अधिकारी रवि जैन कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट झुंझुनू

झुंझुनू, किशोरावस्था को लेकर विद्वान् स्टेनले हॉल ने कहा था कि यह तूफ़ान की अवस्था है। इसके छोटे से वाक्य के पीछे बहुत बड़ा यथार्थ छुपा हुआ है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए जिला कलेक्टर रवि जैन किशोरों को लेकर संचालित एक राष्ट्रीय कार्यक्रम को झुंझुनू जिले में भी लागू करवाना चाहते है। आईएएस अधिकारी रवि जैन, कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट, झुंझुनू को दृढ़ता से लगता है कि राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यकम (आरकेएसके) को झुंझुनू में लागू करना चाहिए। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किशोरों की मदद करना है। यह कार्यक्रम राजस्थान के 10 जिलों में लागू किया गया है। झुंझुनू में किशोरों की आबादी यहाँ कि कुल आबादी का 23{44d7e8a5cbfd7fbf50b2f42071b88e8c5c0364c8b0c9ec50d635256cec1b7b56} है, जो लगभग 5 लाख है और यह इस मुद्दे को अत्यधिक प्रासंगिक बनाता है। किशोर से जुड़े मुद्दों के महत्व को ध्यान में रखते हुए, जैन कहते हैं कि स्कूलों में फ्रंट लाइन कार्यकर्ताओं और शिक्षकों को किशोरों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है, विशेष रूप से उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में, लगातार उन्हें मादक द्रव्यों के सेवन के शिकार होने से बचने के लिए अग्रसर किया जाता है। जैन कहते हैं, “किशोरावस्था संक्रमण का काल है। उचित प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के साथ, प्रत्येक किशोर एक स्वस्थ व्यक्ति के रूप में विकसित हो सकता है और राष्ट्र की प्रगति में योगदान दे सकता है”। गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम ७ जनवरी २०१४ को शुरू किया गया था | इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किशोर भागीदारी, नेतृत्व, निष्पक्षता और समावेश है | यह कार्यक्रम भारत के सभी किशोरों को सरकार से हर तरह की सहायता और सेवा दिलाने और उनको जिम्मेदारीपूर्ण और जानकारीपूर्ण निर्णय लेने में मदद करते हुए उनको उनकी पूरी क्षमता का अहसास दिलाने का उद्देश्य रखता है | वही शेखावाटी लाइव भी अपने सामाजिक सरोकारों के प्रति सजग रहते हुए इस अभियान को गतिशीलता देने में अपनी भूमिका निभाता रहेगा, क्योकि यदि इस कार्यक्रम को अच्छी तरह से क्रियान्वित किया जाता है तो इससे होने वाले अपराधों में भी गिरावट आएगी।

Related Articles

Back to top button