पुन: नगरपालिका के रूप में परिवर्तरित किये जाने पर
दांतारामगढ़, [लिखा सिंह सैनी ] लम्बे अरसे तक करीब छ दशको तक अन्तरकालिन पंचायत के रूप में कार्यरत ग्राम पंचायत दांता को पुन: नगरपालिका के रूप में परिवर्तरित किये जाने पर जन सामान्य में एक आशा की नई किरण जागृत हुई है। पूर्व में संचालित नगरपालिका को अल्प अवधि में ही वैधानिक व तकनीकी कारणों से बंद करके पुन: उसे अन्तरकालिन पंचायत घोषित कर दिया गया था। पिछले साठ से अधिक वर्षों से संचालित पंचायत को पुन: नगरपालिका का दर्जा दिलाने के लिए राजनीतिक स्तर पर काफी प्रयास किये गये व अन्त में वर्तमान विधायक के विरेन्द्रसिंह के प्रयासों से दांता की जनता को यह तोहफा पूर्व बजट में मिला। ठाकुर मदनसिंह दांता के अथक प्रयासों से ही पंचायत दांता को नगरपालिका सन् 1952 में बनाया गया था व प्रथम चेयरमेन मूलचंद छाबड़ा पचार वाले बने थे दुसरी बार चेयरमैन वैद्य जगदीश प्रसाद सन् 1956 में बने थे दोनों के कार्यकाल में ग्राम विकास की योजनाओं में कुछ योजनायें क्रियान्वित भी हुई। आगे चलकर राजनैतिक कारणों से विकास का चक्र अवरुद्ध हो गया व कस्बे से नगरपालिका का हक छीन कर पुन: इसे सन् 1961में पंचायत बना दिया गया।
पिछले छ दशको में अनेक सरपंच आये व ग्रामविकास की योजनाये बनाकर अपना कार्यकाल पुरा करके चले गये। कस्बे की समस्याएँ ज्यो की त्यो ही बनी रही। कुछ प्रतिभाशाली युवा सरपंचों ने प्रयास भी किये तो गंदी राजनीति के कारण सफल नहीं हो सके। “दांता कस्बे में लम्बे समय से आधारभूत सुविधाओं का अभाव है पानी की समस्या प्रमुख हैं। मुख्य मार्गो पर अतिक्रमण सार्वजनिक स्थलो व बंद पडे कुओं, धर्मशालाओं व गोचर भूमि पर भी अनाधिकृत रूप से कब्जे हो चुके है। अपनी बसावट के लिए प्राचीन काल में प्रसिद्ध रहे कस्बे का सौंदर्य समाप्त हो गया है । नगरपालिका के पूर्व कार्यकाल में निर्मित एक मात्र चिल्डरन पार्क को बच्चों के लिए पुन: उस पार्क को मनोरंजन की सुविधायुक्त बनाकर उन्हें सौंपा जा सकेगा ?
सफाई व्यवस्था को सुचारू ढंग से लागू किया जाने व सार्वजनिक सुविधा केंद्रों का “निर्माण व संचालन करने, नाली निर्माण सड़क निर्माण जैसी मूलभूत सुविधाओं “के अतिरिक्त कस्बेवासियों को पूर्ण चिकित्सा सुविधाओं व फायरब्रिगेड एवं एम्बुलेन्स जैसी सुविधा भी उपलब्ध करवायी जानी चाहिए। सार्वजनिक भूमि पर हुए अवैध कामों को हटवाकर उन पर सार्वजनिक उपयोग के लिए निर्माण कार्य करवाये जाये। पिछले साल जुलाई 2022 में वार्ड पंच के पार्षद व सरपंच से चेयरमैन बना दिया जाना ही पर्याप्त नहीं है उनके अधिकारों व कर्तव्यों के भी विस्तार किया जाना आवश्यक है। शीघ्र ही नवनिर्मित नगरपालिका को सुविधायुक्त बनाकर जनकल्याण व जनहित की योजनाओं को, नगर विकास परिषद का पुनर्गठन करके उसके माध्यम के सुवस्थित ढंग से व प्रजातांत्रिक ढंग से लागू किया जायेगा ऐसी आशा के साथ जनता विकास की गंगा के बहने का इन्तजार कर रही है।