आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में
सूरजगढ़, आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में गांधी कृषि फार्म सूरजगढ़ में पूर्व पंचायत समिति सदस्य चाँदकौर के नेतृत्व में गरीब, बेसहारा, लाचार, विकलांग, बीमार, बेघर, अंधे, वृद्ध व असहाय लोगों की मदद में जीवन समर्पित करने वाली महान विभूति नोबेल पुरस्कार विजेता भारत रत्न मदर टेरेसा की जयंती मनाई और अंतर्राष्ट्रीय महिला समानता दिवस मनाया। इस मौके पर स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदुस्तान सेवादल की स्थापना करने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी, विचारक, पत्रकार और सेवादल के संस्थापक डॉ. नारायण सुब्बाराव हार्डिकर को भी याद किया। स्वाधीनता आंदोलन में उनके योगदान को याद करते हुए उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने कहा- यह बात सत्य है कि दुनिया में लोग सिर्फ अपने लिए या अपने परिवार के लिए जीते हैं लेकिन दुनिया में ऐसे लोग भी पैदा हुए हैं, जिन्होंने अपना सारा जीवन दूसरों की भलाई, परोपकार और हितों में लगा दिया। ऐसे लोग महापुरुष या संत कहलाते हैं। ऐसे लोग दुनिया में अपना नाम हमेशा के लिए अमर कर जाते हैं। इसी कड़ी में मदर टेरेसा नाम भी आता है। जिन्होंने विदेशी धरती पर जन्म लेने के बाद हिंदुस्तान के बेसहारा, अनाथ, विकलांग, बीमार और असहाय लोगों और मानव जाति के उत्थान में अपना संपूर्ण जीवन लगा दिया। मदर टेरेसा ने देश विदेश की सरहदों को तोड़कर जाति, लिंग, जातीय, धार्मिक और सांस्कृतिक रुकावटों को तोड़कर बेसहारा और असहाय लोगों के उत्थान में अपना जीवन समर्पित कर दिया। आजादी से पहले मदर टेरेसा जब भारत आई तो उन्होंने यहां बेसहारा और विकलांग बच्चों तथा सड़क के किनारे पड़े असहाय रोगियों की दयनीय स्थिति को अपनी आंखों से देखा इन सब बातों ने उनके हृदय को इतना द्रवित किया कि वह उनसे मुंह मोड़ने का साहस नहीं कर सकी। वे यहीं पर भारत में रुक गई और जन सेवा का व्रत ले लिया, जिसका वे अनवरत पालन करती रही। उन्होंने जिस आत्मीयता से भारत के दीन दुखियों की सेवा की है, इसके लिए देश सदैव उनका ऋणी रहेगा। मदर टेरेसा को मानवता की सेवा के लिए अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हुए। भारत सरकार ने उन्हें पहले 1962 में पद्मश्री और बाद में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने उन्हें वर्ष 1985 में मेडल आफ़ फ्रीडम से नवाजा। मानव कल्याण के लिये किये गये कार्यों की वजह से मदर टेरेसा को नोबेल शांति पुरस्कार मिला। मदर टेरेसा वास्तव में प्रेम और शांति की दूत थी। अंतर्राष्ट्रीय महिला समानता दिवस के बारे में रवि कुमार ने बताया कि विश्व इतिहास में महिलाओं की स्थिति सदियों से दयनीय रही है। महिला होने के कारण उन्हें असमानता और प्रताड़ना झेलने पर विवश होना पड़ा है। अमेरिका जैसे देश में महिलाओं को 26 अगस्त 1920 को पहली बार मतदान का अधिकार मिला। इससे पहले वहाँ महिलाओं को द्वितीय श्रेणी नागरिक का दर्जा प्राप्त था। भारत में आजादी के समय से महिलाओं को वोट देने का अधिकार प्राप्त है, लेकिन पंचायतों तथा नगर निकायों में चुनाव लड़ने का कानूनी अधिकार 73वें संविधान संशोधन के माध्यम से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के प्रयास से मिला। इसी का परिणाम है कि आज भारत की पंचायतों में महिलाओं की पचास प्रतिशत से अधिक भागीदारी है। महिलायें आज हर मोर्चे पर पुरुषों को टक्कर दे रही हैं। चाहे वह देश चलाने की बात हो या फिर घर संभालने की बात हो। यहां तक कि देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी महिलाएं बखूबी निभा रही हैं। महिलाओं ने हर जिम्मेदारी को पूरी तन्मयता से निभाया है। लेकिन आज भी अधिकांश मामलों में उन्हें समानता हासिल नहीं हो पाई है। महिला होने के कारण उन्हें अपने घर में और समाज में असमानता का सामना करना पड़ता है। आये दिन समाचार पत्रों में लड़कियों के साथ होने वाली छेड़छाड़, बलात्कार और गैंगरेप और हत्या जैसी खबरों को पढ़ा जा सकता है। परंतु इन सभी के बीच में वे महिलायें जो अपने घर में सिर्फ इसलिए प्रताड़ित हो रही हैं, क्योंकि वे औरत हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला समानता दिवस पर महिलाओं के उत्थान, समाज में उनके उचित स्थान और समानता की बात की जानी चाहिये। इस मौके पर राजेंद्र कुमार, चाँदकौर, धर्मपाल गांधी, कपिल कुमार, सुनील, सुनीता, रवि कुमार, चमेली, पिंकी नरनोलिया, सोनू कुमारी, दिनेश कुमार, अंजू गांधी, अमित कुमार, इशांत, लक्ष्य आदि अन्य लोग शामिल रहे।