बिना राजनीतिक बैकग्राउंड के बन गए छात्र संघ के अध्यक्ष, पहले पार्षद और अब है नगरपालिका में सहवृत सदस्य
भाजपा के गढ़ को हराकर जीता था पहली बार पार्षद का चुनाव, छात्र राजनीति से बहुत कुछ सीखा है रामवीरसिंह राईका ने
रतनगढ़, [सुभाष प्रजापत ] बिना किसी राजनीतिक बैकग्राउंड और किसान परिवार से वास्ता रखने वाला युवा यदि चुनाव जीतता है, तो उस पर हर किसी का ध्यान जाना स्वभाविक है। ऐसा ही हुआ रतनगढ़ के वार्ड संख्या दो में रहने वाले छात्र रामवीरसिंह राईका के साथ। 11 जनवरी 1990 के दिन किसान छतूसिंह के घर जन्में रामवीर का पालन-पोषण एक सामान्य बालक के रूप में हुआ। उच्च माध्यमिक स्तर की शिक्षा पूर्ण कर जब रामवीर ने कॉलेज में दाखिला लिया, तो वे पहली बार छात्र संघ चुनाव का हिस्सा बने। बस और क्या था, उसी दिन उन्होंने ने भी मन ही मन में छात्र संघ अध्यक्ष बनने की ठान ली और वर्ष 2008 में एनएसयूआई से जुड़कर नगर उपाध्यक्ष का पद हासिल कर लिया और यहीं से रामवीर का राजनीतिक जीवन शुरू हो गया। रामवीर ने वर्ष 2010 में छात्र संघ का चुनाव लड़ते हुए अपने प्रतिद्वंद्वी एबीवीपी के लोकेश महर्षि को 35 मतों से हराकर छात्र संघ के अध्यक्ष बने। वर्ष 2012 में एक बार फिर भाग्य ने रामवीर का साथ दिया और उन्होंने अपने वार्ड के हुए उपचुनाव में भाग्य को आजमाया तथा भाजपा के प्रत्याशी रहे श्रवण माली को हराकर नगरपालिका बोर्ड के सदस्य बने। उसके बाद से अब तक विभिन्न राजनीतिक पदों पर रहते हुए कांग्रेस पार्टी के लिए कार्य कर रहे हैं। वर्तमान में रामवीर नगरपालिका के सहवृत सदस्य भी हैं।