बच्ची का प्रवेश निरस्त करने का पिता ने लगाया आरोप, मांगा स्पष्टीकरण
“बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” का नारा बना कागजी, नहीं दी परीक्षा में बैठने की अनुमति
झुंझुनू, “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” स्लोगन पर कालिख पोत कर उसे महज कागजी बनाने का मामला सामने आया है। ज़िले के पिलानी स्थित श्रीमती जानकी देवी मंडेलिया स्कूल की प्रधानाचार्या पर एक पिता ने अपनी प्रथम कक्षा में आरटीई के तहत पढ़ रही बेटी के प्रवेश को अचानक निरस्त करने का आरोप लगाया है पिता धर्मेन्द्र ने बताया कि वार्षिक परीक्षा नजदीक होने के बावजूद उसकी बेटी पूर्वी सोनी का स्कूल मे प्रवेश निरस्त कर दिया गया। तथा कारण जानने की कोशिश की तों वो भी नहीं बताया जा रहा है। पिता धर्मेन्द्र सोनी ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जो इसी स्कूल का बताया जा रहा है। जिसमें अपनी बच्ची को लेकर जब पिता अंदर जाने का प्रयास कर रहे थे तो उनको आगे गेट को बंद कर दिया गया और मौखिक रूप से उनको कहा गया कि आरटीई के तहत उनकी बच्ची का प्रवेश निरस्त कर दिया गया है। वही इसके संबंध में उनका लिखित रूप से कोई भी जानकारी स्कूल की तरफ से नहीं दी गई है। इस संबंध में पिता धर्मेंद्र सोनी ने उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी, प्रमुख शासन सचिव, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, जिला कलेक्टर झुन्झनू, शिक्षा विभाग झुंझुनू के साथ बाल आयोग को भी इस मामले की शिकायत की। जिसके चलते उनके पास सिर्फ बाल आयोग से ही फोन पर जानकारी पूछी गई और साथ ही यह बताया गया कि झुंझुनू जिला कलेक्टर को वह यह मामला फॉरवर्ड कर रहे हैं लेकिन 5- 6 रोज बीत जाने के बाद भी इस मामले में झुंझुनू जिला प्रशासन की तरफ से बच्चों के परिजनों से कोई संपर्क नहीं किया गया है। जिसके चलते “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” के स्लोगन पर जहा सवाल खड़े हो गए है वही इसमें अफसरशाही की संवेदहीनता भी दिखाई दे रही है। यह हालत तो तब हैं जब प्रदेश की सरकार में दूसरे नंबर की मुखिया की कुर्सी पर खुद एक महिला विराजमान है। वहीं जिले में अफसर शाही को लेकर जो स्थिति देखने को मिल रही है उसे लगता है कि भाजपा की सरकार, कांग्रेस शासन के दौरान हावी हुई अफसर शाही को अभी तक सक्रिय और कंट्रोल करने में भी नाकाम साबित हुई है। शेखावाटी लाइव ब्यूरो रिपोर्ट झुंझुनू