झुंझुनू, राष्ट्रीय साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया कला एवं संस्कृति विभाग की राष्ट्रीय अध्यक्ष वैशाली गायकवाड़ की अनुशंसा पर संस्थान के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने महाराष्ट्र प्रदेश में कला एवं संस्कृति विभाग की कार्यकारिणी का विस्तार किया है। नाशिक निवासी सामाजिक कार्यकर्ता जानकी पराग नायक को महाराष्ट्र प्रदेश का अध्यक्ष व राजलक्ष्मी हवालदार को महासचिव बनाया है। सुलभा दत्तात्रय साळुंके को संरक्षक, सुजाता गायकवाड़ को संगठन मंत्री, रेशमा संदीप धनवडे को सचिव, मीनाक्षी अशोक अहिरे को वरिष्ठ उपाध्यक्ष, त्रिशाला कृष्णा वर्मा को कोषाध्यक्ष, संगीता शिवाजी बांगर को सह-कोषाध्यक्ष, अस्मिता ताई जाधव को उपाध्यक्ष, सविता मंगेश घुले को सह-सचिव, मनीषा व्होकडे को मार्गदर्शक नियुक्त किया है। शर्मिला बापूसाहेब धुमाळ, सौ निता नंदकुमार साखरे व जयश्री पोकळे को अलग-अलग डिविजन का उपाध्यक्ष बनाया है। मंगल अडवल, सुषमा रविंद्र खंडागळे, उषा पाटील आदि को सदस्य बनाया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष जानकी पराग नाईक को वैशाली गायकवाड़ के आदेशानुसार महाराष्ट्र के सभी जिलों व शहरों में कार्यकारिणी का गठन करने का निर्देश दिया है। संस्थान के महासचिव राजेंद्र कुमार, कोषाध्यक्ष विकास कुमार व महिला इकाई की राष्ट्रीय अध्यक्ष रेनू मिश्रा दीपशिखा सहित अन्य पदाधिकारियों ने नवनियुक्त पदाधिकारियों को बधाई प्रेषित करते हुए खुशी का इजहार प्रगट किया है। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने कार्यकारिणी का विस्तार करते हुए बताया कि हमारी ऐतिहासिक धरोहर व सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए कला एवं संस्कृति विभाग का गठन किया गया है। समय-समय पर संस्थान के माध्यम से अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे, जिनकी बदौलत युवा प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा और भारतीय संस्कृति को समझने का अवसर मिलेगा। 2023 में संस्थान द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर एक बहुत बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। भारतीय कला एवं संस्कृति से प्रभावित अनेक कलाकार कार्यक्रम में भाग लेंगे। संस्थान द्वारा देशभर में भारतीय कला एवं संस्कृति का प्रचार प्रसार किया जायेगा और विविध कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति है। अन्य देशों की संस्कृतियाँ तो समय की धारा के साथ-साथ नष्ट होती रही हैं, किन्तु भारत की संस्कृति आदि काल से ही अपने परम्परागत अस्तित्व के साथ अजर-अमर बनी हुई है। इसकी उदारता तथा समन्यवादी गुणों ने अन्य संस्कृतियों को समाहित तो किया है, किन्तु अपने अस्तित्व के मूल को सुरक्षित रखा है। तभी तो पाश्चात्य विद्वान् अपने देश की संस्कृति को समझने हेतु भारतीय संस्कृति को पहले समझने का परामर्श देते हैं। विविधताओं का देश भारत अपनी विभिन्न संस्कृतियों के लिए जाना जाता है। आदर्श समाज समिति इंडिया के माध्यम से भविष्य में विभिन्न प्रांतों की विविध संस्कृतियों को एक मंच पर देखने का मौका मिलेगा।