स्वतंत्रता सेनानी विजयलक्ष्मी पंडित, सुचेता कृपलानी व दादा धर्माधिकारी की पुण्यतिथि और स्वतंत्रता सेनानी काका कालेलकर, जॉर्ज सिडनी अरुंडेल और क्रांतिकारी अनंता सिंह की जयंती मनाई
झुंझुनू, आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में गाँधी कृषि फार्म सूरजगढ़ में स्वतंत्रता सेनानी व संविधान सभा की सदस्य और संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रथम महिला अध्यक्ष विजयलक्ष्मी पंडित व देश की प्रथम महिला मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी सुचेता कृपलानी और स्वतंत्रता सेनानी दादा धर्माधिकारी की पुण्यतिथि मनाई। इस मौके पर भारत के प्रसिद्ध गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद्, पत्रकार और लेखक काका कालेलकर व भारत के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले महान व्यक्ति जॉर्ज सिडनी अरुंडेल और क्रांतिकारी अनंता सिंह को उनकी जयंती पर नमन किया। सभी स्वतंत्रता सेनानियों के छायाचित्रों पर पुष्प अर्पित करते हुए उनके जीवन संघर्ष और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को याद किया। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने कहा- स्वतंत्रता सेनानी विजयलक्ष्मी पंडित, सुचेता कृपलानी, दादा धर्माधिकारी, क्रांतिकारी अनंता सिंह व स्वतंत्रता सेनानी काका कालेलकर आदि सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने महात्मा गांधी से प्रेरित होकर आजादी की लड़ाई में भाग लिया। काका कालेलकर ने आजादी के लिए महात्मा गांधी के द्वारा शुरू किए गए सभी आंदोलनों में भाग लिया।
1915 में शांति निकेतन में काका कालेलकर की मुलाक़ात महात्मा गांधी से हुई और उन्होंने अपना जीवन गांधी जी के कार्यों को समर्पित कर दिया। गांधी जी से मिलने के बाद उनके राजनीतिक विचार भी बदल गये। वे साबरमती आश्रम के विद्यालय के प्राचार्य बने और बाद में उनके अनुभवों के आधार पर ‘बेसिक शिक्षा’ की योजना बनी। फिर वे 1928 से 1935 तक ‘गुजरात विद्यापीठ’ के कुलपति रहे। 1935 में काका कालेलकर गांधी जी के साथ साबरमती से वर्धा चले गए और हिन्दी के प्रचार में लग गये। काका कालेलकर प्रथम लोकसभा के सदस्य भी रहे हैं, उन्हें 1964 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। क्रांतिकारी अनंता सिंह के बारे में धर्मपाल गाँधी ने बताया कि क्रांतिकारी सूर्य सेन के नेतृत्व में ‘चटगाँव आर्मरी रेड’ में भाग लेने वाले क्रांतिकारियों में अनंता सिंह भी एक थे। वे अपने साथी क्रांतिकारियों में बम तथा बंदूक की गोलियाँ आदि बनाने में कुशल थे। ‘चटगाँव कांड’ में गिरफ्तार होने के बाद आजीवन कारावास के तहत उन्हें 1932 में अंडमान की जेल भेज दिया गया, जहां से वे 1946 में रिहा हुए। उन्होंने अंडमान की जेल में बहुत यातनाएं सही लेकिन अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी। प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा लेखक दादा धर्माधिकारी ने भी महात्मा गाँधी के साथ आजादी की लड़ाई में बढ़ चढ़कर भाग लिया। वे ‘गांधी सेवा संघ’ के सक्रिय कार्यकर्ताओं में से एक थे। दादा धर्माधिकारी ने अपना अधिकांश समय दलितों और महिलाओं के उत्थान में लगाया। दादा धर्माधिकारी ने हमेशा दावा किया था कि जीवन में जिन महान व्यक्तियों ने उन्हें प्रभावित किया उनमें महात्मा गाँधी, आचार्य विनोबा भावे, किशोरीलालभाई मशरूवाला, जमनालाल बजाज और जे. कृष्णमूर्ति शामिल थे। दादा धर्माधिकारी ने इन सभी व्यक्तित्वों से दृष्टिकोण, सोच, सिद्धांत, आचरण को आत्मसात किया। ऐसे महान क्रांतिवीरों और महापुरुषों को हम नमन करते हैं। इस मौके पर आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी, कपिल देव, चाँदकौर, सतीश कुमार, सुनील गाँधी, महाकौरी देवी, सोनू कुमारी अंजू गाँधी, पिंकी, तीजा देवी, अमित कुमार आदि अन्य लोग मौजूद रहे।