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चूरू जिले में उपखंड और जिला स्तर पर आबादी विस्तार के प्रकरण लम्बित नहीं – राजस्व मंत्री

जयपुर, राजस्व मंत्री हेमंत मीणा ने कहा कि चूरू में 1 अप्रैल 2024 से 20 मार्च 2025 तक भूमि रूपांतरण के कुल 485 प्रकरण प्राप्त हुए। इसमें 442 प्रकरणों का निस्तारण कर दिया गया है। शेष 43 प्रकरण जो कि 45 दिवस से कम के है, उन्हें भी शीघ्र निस्तारित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि धारा 177 में कुल 523 प्रकरण उपखंड अधिकारियों के न्यायालयों में लम्बित हैं। वर्तमान में उपखंड और जिला स्तर पर आबादी विस्तार के कोई प्रकरण आदिनांक तक लम्बित नहीं है।

राजस्व मंत्री गुरूवार को विधान सभा में सदस्य पूसाराम गोदारा के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे। मीणा ने कहा कि यदि किसी खातेदार द्वारा अपनी खातेदारी भूमि का बिना सक्षम स्वीकृति के अकृषि प्रयोजन के लिए उपयोग में लिया गया है तो वह राजस्थान काश्तकारी नियम, 1955 के प्रावधानों का उल्लंघन है। उपयोग में ली गई जोत भूमि से खातेदार को बेदखल किए जाने की प्रक्रिया राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1955 की धारा 177, 171 व राजस्थान काश्तकारी राजस्व मंडल नियम 155 के नियम 58 से 62क में दी गई है। इसके तहत भू-धारक (तहसीलदार) काश्तकार को बेदखल करते हुए राजस्व न्यायालय में वाद दायर कर सकता है। उन्होंने कहा कि धारा 178 के तहत डिक्री या आदेश से किसी काश्तकार को उसके ऐसे भाग से बेदखल किया जा सकेगा, जैसा कि न्यायालय मामले की सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए निर्देश दे।

मीणा ने कहा कि राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 90क की उपधारा 5 के अनुसार, किसी काश्तकार द्वारा यदि अपनी खातेदारी भूमि का अकृषि प्रयोजन के लिए बिना अनुमति उपयोग में ले लिया गया है, तो ऐसे खातेदार को अतिक्रमी मानकर अधिनियम की धारा 91 के तहत बेदखली की कार्रवाई की जाएगी। धारा 91 में सरकारी भूमि से अवैध कब्जेधारियों को बेदखल करने के प्रावधान है।

राजस्व मंत्री ने कहा कि यदि किसी गांव की आबादी विस्तार के लिए भूमि की आवश्यकता है और उस ग्राम में नॉर्म्स में कम भूमि है तो आबादी विस्तार के लिए भूमि के प्रस्ताव ग्राम पंचायत द्वारा प्रेषित किए जा सकते हैं। इस पर राजस्थान राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 92 के तहत आरक्षित कर धारा 102क के अंतर्गत ग्राम पंचायत के अधीन भूमि आबादी प्रयोजन के लिए उपयोग की जा सकती है। ऐसी अधीन की गई भूमि पर आबादी के पट्टे ग्राम पंचायत द्वारा अपने नियमों के तहत जारी किए जा सकते हैं।

श्री मीणा ने कहा कि इस ध्यानाकर्षण प्रस्ताव की वस्तुस्थिति राजस्व एवं पंचायत राज विभाग से सम्बंधित है, ऐसी स्थिति में दोनों विभाग द्वारा संयुक्त रूप से परीक्षण कराया जाकर अग्रिम कार्रवाई की जा सकती है।

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