स्वेच्छा से अनुपस्थित रहने पर
चूरू जिला कलक्टर संदेश नायक ने सुजानगढ के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण पदाधिकारी (एसडीएम) कार्यालय मेंं पदस्थापित कनिष्ठ सहायक सूर्यप्रकाश दूधवाल को लंबे समय तक स्वेच्छा से अनुपस्थित रहने के कारण राज्य सेवा से निष्कासित/ पृथक करने के आदेश जारी किए हैं। आदेश के अनुसार, कार्मिक दूधवाल 28 दिसंबर 2017 को दोपहर बाद से ही स्वेच्छा से अनुपस्थित चल रहा है। इस पर उसके घर नोटिस भेजा गया तो घर वालों ने बताया कि वह आस्ट्रेलिया गया हुआ है। लोकसेवक होते हुए भी वह बिना अनुमति के मुख्यालय छोड़कर विदेश यात्रा पर चला गया है, जिसे अनुशासनहीनता माना गया है। जिला कलक्ट्रेट कार्यालय से कार्मिक को 16 जनवरी 2018 को राजस्थान सेवा नियम 1951 के नियम 86 (1) के अंतर्गत नोटिस दिया गया लेकिन घर पर उसके नहीं होने के कारण नोटिस की प्रति उसके मकान पर चस्पा की गई। इसके बाद समाचार पत्र के जरिए भी उसे सूचित किया गया लेकिन उसके द्वारा कोई जवाब नहीं प्रस्तुत किया गया। इसके बाद कार्मिक को 28 मई 2018 को राजस्थान असैनिक सेवाएं (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1958 के नियम 16 के अधीन आरोप एवं आरोप विवरण पत्र जारी किए गए। कार्मिक को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया, लेकिन उसके द्वारा बाद में भी कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया। प्रकरण में जांच अधिकारी एसडीएम द्वारा जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत कर आरोपी कार्मिकों के खिलाफ विचाराधीन आरोपों की पुष्टि की गई। जिला कलक्टर ने बताया कि राजस्थान सेवा नियम 86 (3) में यह स्पष्ट प्रावधान है कि एक ऎसा सरकारी कर्मचारी जिस पर जानबूझकर एक माह से अधिक अवधि के लिए अनुपस्थित रहने का आरोप सिद्ध हो जाता है तो उसे सेवा से निष्कासित किया जा सकता है जबकि यह कार्मिक लगभग एक वर्ष 5 माह से अपनी ड्यूटी से जानबूझकर अनुपस्थित चल रहा है। जांच रिपोर्ट के अनुसार आरोपी अधिकारिक रूप से अन्य राष्ट्र में है। इसलिए राजस्थान सेवा नियम 86 (3) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए कनिष्ठ सहायक सूर्यप्रकाश दूधवाल को तुरंत प्रभाव से राज्य सेवा से निष्कासित/पृथक करने के आदेश दिए गए हैं।