Video News – गैंगस्टर वीरेंद्र चारण की कहानी एलएलबी पास बूढ़े पिता की जुबानी
सुखदेव सिंह गोगामेड़ी मामला है वीरेंद्र पर तेरहवां मुकदमा
चूरू, [सुभाष प्रजापत ] सुजानगढ़ से आठ किलोमीटर दूर गांव बोबासर में सन्नाटा है। यहां के बोबासर चारणान में बने एक पुराने मकान में एक बुजुर्ग लकड़ी का गट्ठर लिए घर में घुस रहे है। हम नमस्कार कर पूछते हैं ’वीरेन्द्र चारण का मकान कौनसा है’ ! बुजुर्ग कुछ देर खामोश रहकर अन्दर आने के लिए कहते हैं। हमारे लिए कुर्सियां लाकर हमें बिठाते हैं। तभी उनके छोटे भाई वहां आ जाते हैं। वह बुजुर्ग का परिचय देते हैं। ये एडवोकेट नरेन्द्र सिंह सामौर हैं, वीरेंद्र के पिता।
हम परिचय देते हैं तो नरेंद्र सिंह का गुस्सा और अफसोस फूट पड़ता है। भारी मन और भरी आंखों से कहते हैं ’हमारे लिए वह 16 साल पहले मर गया’। जब वह बदमाशी करने लगा तो मैंने उसे 2007 में घर से निकाल दिया। तबसे मैंने उसे कल टीवी पर देखा। अब आप ही बताइए, अपराधी को घर में कैसे घुसने देता! हमारा परिवार इज्जतदार परिवार रहा है। वह शुरू से ही गलत रास्ते पर चल पड़ा था। लोगों को मारने वाले को घर में घुसने कैसे देता!भगवान भी आकर कहे तो उसे अन्दर नहीं आने दूंगा। नरेंद्र सिंह ने कहा मेरे बेटे ने जिन लोगों को भी मारा या परेशान किया मैं उन सब लोगों से माफी मांगता हूं। चाचा सम्पत सिंह कहते हैं ’मिनख मारेड़ा को तो मुंह भी नहीं देखणो चाइजै’।
1982 में नरेंद्र सिंह ने की थी LLB, RJS में कुछ ही नंबरों से रह गए, वीरेंद्र के अपराधी बनने से मां हो गई मानसिक रूप से बीमार
71 साल के एडवोकेट नरेंद्र सिंह ने 1982 में एलएलबी पास की। इसके बाद उन्होंने आरजेएस का एग्जाम भी फाइट किया। जिसमें वह कुछ ही नंबरों से चूक गए। वीरेंद्र चारण के अपराधी बन जाने से लगातार तनाव में रहने वाली उसकी मां अब मानसिक रूप से बीमार हो गई है। उसका बड़ा भाई सरकारी टीचर है, जो परिवार सहित जोधपुर में रहता है। एडवोकेट नरेंद्र सिंह अब 15 बीघा के खेत में खेती करते हैं। साथ ही अपना जीवन गायों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है। उनके पास 35 गायें हैं। हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी के अच्छे जानकार नरेंद्र सिंह बताते हैं कि उनके दादा छत्रदान बीकानेर महाराजा गंगा सिंह के खास मित्र थे। उनके परिवार का बीकानेर रियासत से संबंध रहा है। उनके दादा का इतना दबदबा था कि उनके डर से गांव के 10 कोस की परिधि में चोर नहीं घुसते थे। हमने जब नरेंद्र सिंह से वीरेंद्र चारण का फोटो मांगा तो उन्होंने गुस्से में कहा ’मैंने उसके सारे फोटो जला दिए’
सुजानगढ़ सदर थाने का हिस्ट्रीशीटर है वीरेंद्र चारण, सुखदेव सिंह गोगामेड़ी मामला है तेरहवां मुकदमा
वीरेंद्र चारण सुजानगढ़ सदर थाने का हिस्ट्रीशीटर है। उसके खिलाफ तीन से ज्यादा मर्डर सहित तेरह मुकदमे है। वह कई मामलों में जेल जा चुका है। वह रतनगढ़, चूरू, सीकर, अजमेर और जयपुर जेल में सजा काट चुका है। माना जाता है कि जयपुर और अजमेर जेल में रहते हुए उसके बड़े गैंगस्टर्स से संपर्क बने। वीरेंद्र चारण के खिलाफ सुजानगढ़ में दो, सालासर में तीन, रतनगढ़ में दो, रतननगर में एक, लाडनूं में एक, दुधवाखारा में एक, चूरू कोतवाली में एक और सीकर उद्योग नगर थाने में एक मुकदमा दर्ज है।
सुजानगढ़ में ज्वैलर पर फायरिंग का है मुख्य साजिशकर्ता
मास्टरमाइंड गैंगस्टर वीरेंद्र चारण
सुजानगढ़ के जेडीजे ज्वेलर्स पर 26 अप्रैल को हुई फायरिंग के मामले में वीरेंद्र चारण मुख्य साजिशकर्ता है। 26 मार्च को सुजानगढ़ के ज्वैलर पवन सोनी को गैंगस्टर रोहित गोदारा ने फोन कर धमकी दी थी। इसके बाद सुजानगढ़ के मैन मार्केट में जेडीजे ज्वेलर्स पर तीन जनों ने फायरिंग की थी। इनमें से तेजाराम को लोगों ने पकड़ लिया। वहीं लिखमनाराम और गोपाल सिंह भाग गए थे। अब तीनों जेल में है। मामले में मुख्य साजिशकर्ता वीरेंद्र चारण ने ही तीनों को हथियार उपलब्ध करवाए थे। ज्वैलर पर फायरिंग के मामले में वीरेंद्र की परिचित जय कंवर और उसका बेटा राजेंद्र सिंह भी पकड़े गए थे। जो अब जमानत पर बाहर है। फायरिंग करने वाला गोपाल सिंह 10 दिन जय कंवर के घर रुका था। यहीं ज्वैलर पर फायरिंग की साजिश हुई। उन्हें हथियार उपलब्ध करवाए गए और पैसों का लेनदेन हुआ। ज्वैलर पर फायरिंग के बाद सुजानगढ़ के कुछ और प्रतिष्ठित लोगों को भी धमकियां मिलने की दबी हुई खबरें सुनने को मिली। लेकिन पुलिस इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। पढ़ाई में नॉन मैट्रिक शातिर वीरेंद्र चारण मोबाइल फोन नहीं रखता है, और शायद यही कारण है कि एक साल में तीन बड़ी घटनाओं का अंजाम देने में शामिल होने के बाद भी वह पुलिस की पकड़ से बाहर है।