पुलिस अधीक्षक ने थानाधिकारियों से कहा है कि वे वेबपोर्टल http: trackthemissingchild.gov.in पर 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों का इन्द्राज सुनिश्चित कराएं। अभियान में 18 वर्ष से कम आयु के गुमशुदा बच्चों की एक डायरेक्ट्री तैयार की जाएगी, जिसमें प्रत्येक गुमशुदा बच्चे के हाई रेज़ोल्युशन फोटोग्राफ्स व विवरण संधारित होगा। इस डायरेक्ट्री की प्रति अभियान से जुड़ी प्रत्येक टीम को दी जाएगी। अभियान से जुड़े प्रत्येक स्टेक होल्डर जिसमें सामाजिक कल्याण विभाग, बाल अधिकारिता विभाग, महिला एवं बाल विकास, श्रम विभाग, पुलिस, सीडब्ल्युसी, चिल्ड्रन होम, शेल्टर होम, एनजीओ आदि की आपस में अभियान शुरू करने से पूर्व समन्वय स्थापित करने हेतु बैठक ली जाएगी। इसमें रहने वाले बच्चों के नाम, पता, फोटो विवरण प्राप्त कर गुमशुदाओं से मिलान किया जाएगा। प्रत्येक थाना इलाका में स्थित शेल्टर होम, चाईल्ड केयर इंस्टीट्यूट, अनाथालय व अन्य संस्था (राजकीय अथवा प्राइवेट) में निवासरत बालक बालिकाओं के बारे में गहनता से नाम पता व जिला, स्थान का पता लगाया जाकर http: trackthemissingchild.gov.in व खोया-पाया पोर्टल से मिलान कर परिजनों को सुपुर्द किया जाने के लिए कहा गया है। उन्होंने सभी थानाधिकारियों को विशेष अभियान का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं और कहा है कि अभियान में तकनीक के उपयोग में मदद हेतु तकनीक सहायक टीम अवश्य शामिल करें। उन्होंने पुलिस कर्मियों को ऑपरेशन ‘‘खुशी-VIII चरण-1‘‘ की विभिन्न स्तरों की प्रक्रिया तथा प्रोटोकॉल की जानकारी दिए जाने के कहा है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि अभियान को सफल बनाने के लिए तथा अधिक से अधिक गुमशुदा बच्चों को दस्तयाब करने के लिए मेहनत व लगन से काम करने वाले पुलिसकर्मियों को पुरस्कृत किया जाएगा तथा उदासीनता व लापरवाही बरतने वाले पुलिस कर्मियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। उन्होंने साप्ताहिक सूचना समय पर एवं स्पष्ट भिजवाने, निर्देशों को प्रत्येक थाने के रोल-कॉल मे पढ़कर सुनाए जाने, थानेवाईज, बीटवाईज प्राथमिकता तय करके गहन सर्च अभियान चलाए जाने, बीट बुक में गुमशुदा बच्चों का मय फोटो के इन्द्राज किए जाने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि समस्त थानाधिकारी इस ओर व्यक्तिगत ध्यान देकर टीमों का गठन कर उनको सही ढंग से ब्रीफ करें। इस टीम में जे.जे.एक्ट, पोक्सो एक्ट, बाल अधिकारों के सम्बन्ध में प्रशिक्षित पुलिस कर्मियों को सम्मिलित किये जाने के लिए कहा गया है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि समस्त थानाधिकारी उपखण्ड मजिस्ट्रेट से समन्वय स्थापित कर महिला एवं बाल विकास, एनजीओ के प्रतिनिधियों को भी इन टीमों में सम्मिलित कर अभियान को व्यापक रूप दें। उन्होनें निर्देश दिए हैं कि गुमशुदा श्रेणी में पाये गये बच्चों के प्रकरणों में मानव तस्करी के दृष्टिकोण से विस्तृत अनुसंधान किया जाए। यदि किसी संगठित गिरोह के बारे में जानकारी आती है तो इसकी सूचना तुरन्त जिला मानव तस्करी यूनिट को दी जाए। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार जब लावारिश बच्चा मिल जाता है या बरामद कर लिया जाता है तो उसका तत्काल फोटोग्राफ करवाया जाकर प्रिन्ट तथा इलेक्ट्रोनिक मीडिया व वेबसाईट (टै्रक द मिसिंग चाईल्ड वेबपोर्टल) आदि के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किया जावे ताकि गुमशुदा बच्चे के माता-पिता व परिजनों को इस बारे में सूचना मिल सके। उन्होंने कहा है कि थाना क्षेत्र में संचालित समस्त सरकारी व गैर-सरकारी आश्रयस्थलों में निवासरत बच्चों के रिकॉडर््स मय फोटोग्राफ्स प्राप्त कर गुमशुदा बच्चों से मिलान करवाएं ताकि गुमशुदा बच्चों की दस्तयाबी को प्रभावी बनाया जा सके।