प्रशासन के अधिकारी/ कर्मचारी ने किया बड़ा खेला ?
सच को दबाने वाले – तू मुझे बचा और जरूरत पड़ी तो मैं भी तुझे बचाऊगा
पत्रकार नीरज सैनी – मैं कतरा होकर भी दरिया से जंग करता हूं मुझे बचाना समंदर की जिम्मेदारी है, दुआ करो सलामत रहे मेरी हिम्मत, यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है
झुंझुनू, झुंझुनू जिला मुख्यालय पर आरटीआई प्रकरण को लेकर बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। प्रशासन में बैठे हुए अधिकारी /कर्मचारी द्वारा किया गया कितना बड़ा खेल है यह हम आपके सामने रखेंगे लेकिन उससे पहले थोड़ी आपको जानकारी दे दें। पत्रकार एवं आरटीआई कार्यकर्ता नीरज सैनी ने सूचना के अधिकार के अंतर्गत लोक सूचना अधिकारी जिला कलेक्टर झुन्झनू के यहां पर आवेदन किया था। आरटीआई लगाने वाले पत्रकार को तो अभी तक पूरी जानकारी प्रशासन में बैठे हुए लोगों द्वारा उपलब्ध नहीं करवाई गई। लेकिन इस आरटीआई आवेदन की मूल कॉपी की फोटो खींचकर सैनी समाज के व्हाट्सएप ग्रुप में डालकर पत्रकार सैनी के खिलाफ अशोभनीय बातें लिखी और इसके साथ ही सैनी समाज को पूरे मामले से अवगत नहीं करवाते हुए सस्ती सामाजिक सहानुभूति लेने के लिए इनको व्हाट्सएप ग्रुप में डाला गया। इस प्रकार से पत्रकार नीरज सैनी को प्रताड़ित करने का प्रयास किया गया। वहीं ग्रुपों में पोस्ट डालने के बाद से ही पत्रकार नीरज सैनी को समझाइश के नाम पर धमकियां दी जाने लगी और मानसिक रूप से लगातार प्रताड़ित किया जाने लगा। जब पत्रकार नीरज सैनी ने इसकी शिकायत का ज्ञापन झुंझुनू जिला कलेक्टर को सौंप कर इसकी प्रति मुख्य सूचना आयुक्त राजस्थान राज्य सूचना आयोग जयपुर, मुख्य सचिव राजस्थान सरकार जयपुर, मुख्य सूचना आयुक्त केंद्रीय सूचना आयोग नई दिल्ली, प्रधानमंत्री भारत सरकार नई दिल्ली, मुख्य न्यायाधीश राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर, झुंझुनू जिला पुलिस अधीक्षक को भी भेज कर इस मामले से अवगत करवाया तो झुन्झनू एसपी कार्यालय से इस मामले में संज्ञान लिया जाकर कंप्लेंट दर्ज करवाई गई। जिसकी जांच वर्तमान में झुंझुनू कोतवाली पुलिस कर रही है। वही आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस पूरे मामले में आरटीआई आवेदन पत्र की गोपनीयता कैसे भंग हुई इसकी जांच की जा रही थी। इसके लिए कोतवाली पुलिस के एसआई प्यारेलाल इस मामले में जांच कर रहे हैं। वहीं देर से ही सही पर झुंझुनू जिला कलेक्टर ने भी इस पर संज्ञान लेते हुए जांच झुंझुनू उपखंड अधिकारी को सौंप दी। उपखंड अधिकारी झुंझुनू ने साइबर थाने को भी इसकी जांच के लिए कहा।
अब खेला क्या किया गया है यह तो हम आपके सामने रखेंगे। लेकिन उससे पहले आपको यह बता दें कि झुंझुनू जिला कलेक्टर के यहां पर जो आरटीआई लगाई गई थी इसमें क्या सूचना मांगी गई थी – झुंझुनू जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी की 16 जून को आपने कहीं पर सरकारी कार्य में ड्यूटी लगाई थी क्या यदि लगाई थी तो इसकी पूरी सूचना दी जाए। यहां पर हम आपको स्पष्ट कर दें कि पत्रकार नीरज सैनी ने झुंझुनू PRO के यहां पर पहले एक आरटीआई के अंतर्गत सूचना मांगी थी जो कि उनको नहीं उपलब्ध करवाई गई। इसके चलते उन्होंने अपनी प्रथम अपील निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग सचिवालय जयपुर को की। 16 जून को इसकी सुनवाई हुई थी जिस सुनवाई में पत्रकार नीरज सैनी तो उपस्थित रहे लेकिन झुंझुनू PRO उपस्थित नहीं हुए और वहीं उन्होंने निदेशक को पत्र भेज कर यह जानकारी दी की झुंझुनू जिला कलेक्टर ने मेरी आज अति आवश्यक कार्य में ड्यूटी लगाई हुई है। लिहाजा सैनी ने इस बात की जानकारी और सत्यता जचने के लिए यह जानकारी चाही। वही दूसरे बिंदु में झुंझुनू जिला कलेक्टर के यहां से जानकारी मांगी गई कि झुंझुनू कलेक्ट्रेट में कितने ऐसे अधिकारी कर्मचारी हैं जो की डेपुटेशन पर कार्यरत है इनका पूरा ब्यौरा दिया जाए और वर्तमान में सरकार की डेपुटेशन को लेकर क्या दिशा निर्देश जारी किए हुए हैं उनसे भी अवगत करवाया जाए।
मजे की बात तो देखिए लोक सूचना अधिकारी झुंझुनू जिला कलेक्टर के यहां से तो आरटीआई लगाने वाले पत्रकार नीरज सैनी के पास कोई जवाब नहीं आया अभी तक। लेकिन पहले बिंदु में जो झुंझुनू PRO से संबंधित सूचना मांगी गई थी उसका जवाब झुंझुनू PRO ऑफिस की तरफ से प्राप्त हुआ जो भी पहली बात तो पर्याप्त नहीं था दूसरी बात उन्होंने यह सूचना लोक सूचना अधिकारी झुंझुनू जिला कलेक्टर के यहां से मांगी थी न की झुंझुनू जिला सूचना जनसंपर्क अधिकारी के यहां से। इस प्रकार से यहां से सूचना उपलब्ध होने पर भी एक बड़ा सवालिया निशान लगता है। वही झुंझुनू जिला कलेक्टर के लोक सूचना अधिकारी के यहां से आज तक भी पत्रकार को कोई जवाब आरटीआई का नहीं मिला। ऐसी स्थिति में जब आरटीआई आवेदन की मूल प्रति सोशल मीडिया में वायरल हुई इसकी गोपनीयता भंग होने पर प्रश्न चिन्ह लगे तो इस मामले में शंका की सुई लोक सूचना अधिकारी झुंझुनू जिला कलेक्टर के कार्यालय और झुंझुनू जिला सूचना जनसंपर्क अधिकारी के कार्यालय की तरफ जाती है।
वही अब बात करे की क्या हुआ है खेला
एक कम पढ़ा लिखा आदमी भी यह बात जानता है कि अपन सूचना के अधिकार के अंतर्गत कोई भी जानकारी या प्रति प्राप्त करते हैं या फिर नक़ल प्राप्त करते है तो उसके ऊपर यह लिखा हुआ मिलता है की मूल प्रति से मिलान किया गया या संबंधित अधिकारी के हस्ताक्षर भी उसे पर होते हैं लेकिन व्हाट्सएप के ग्रुप में जो मूल आवेदन की फोटो खींचकर वायरल की गई थी उसे पर ऐसी कोई भी अधिकारी की टिप्पणी नहीं थी की मूल प्रति से मिलान किया गया है या यह प्रति सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त की गई है।
वहीं सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार कोतवाली पुलिस ने जब पूरे मामले की जांच पड़ताल शुरू की तो प्रथम बार इस मूल आवेदन की फोटो जिस व्यक्ति ने डाली थी उसका कहना था कि मैंने यह प्रति सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त की है तो यहां पर भी बड़ा सवाल खड़ा होता है की मूल आरटीआई लगाने वाले पत्रकार को तो आज तक भी जवाब नहीं दिया गया जबकि आरटीआई क्या लगाई गई है इसकी सूचना मांगने वाले को तुरंत ही सूचना उपलब्ध करवा दी जाती है यानी यह बात सीधा-सीधा मिली भगत का इशारा करती है। वही झुंझुनू पुलिस भी यदि इस मामले में निष्पक्षता पूर्वक जांच करना चाहती है तो वह ग्रुप में डाले गए आवेदन के मूल स्क्रीनशॉट और जो सूचना वायरल करने वाले व्यक्ति ने दी है कि उसकी कॉपी जो कथित आरटीआई के अंतर्गत मिला है, उसका मिलान कर ले इसे ही दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
इसको किया गया था वायरल——–पुलिस करे मिलान हो जायेगा दूध का दूध पानी का पानी
अब बात उठती है कि कौन से लोक सूचना अधिकारी ने यह सूचना उपलब्ध करवाई तो यह वैसे तो झुंझुनू जिला कलेक्टर के जांच का विषय है लेकिन जिला प्रशासन चाहे तो चुटकियों में ही जो कोतवाली में वायरल करने वाले व्यक्ति ने कथित रूप से आरटीआई के अंतर्गत सूचना मिलने की बात कही है उससे मिलान कर लिया जाए इस पूरे मामले का पर्दाफाश हो जायेगा।
खेला यह है कि जिस अधिकारी के यहाँ से प्रथम बार सूचना मांगी गई थी और वायरल करने वाले व्यक्ति के बीच क्या कोई रिश्ता है चाहे वह नजदीक का हो या दूर का। क्योंकि व्हाट्सएप ग्रुप में डालने वाले व्यक्ति ने इन अधिकारी को बचाने के लिए सैनी समाज के ग्रुप में डालकर पत्रकार पर अनावश्यक रूप से दबाव डालने का काम किया था यानी यह व्यक्ति इन अधिकारी के बचाव में सामने आया था ना कि यह मामला सैनी समाज के हितों से जुड़ा हुआ था।
दूसरी बात तथ्यों का मिलान किया जाए तो बात स्पष्ट हो जाती है की मूल आवेदन की प्रति को फोटो खींचकर निश्चित रूप से इसकी गोपनीयता भंग की गई थी और जिन अधिकारी कर्मचारी का इसमें स्वार्थ निहित है उन्होंने अपने ही व्यक्ति को कोतवाली पुलिस से बचाने के लिए आरटीआई के अंतर्गत सूचना देने का कुचक्र रचा है क्योंकि इतने ही त्वरित सूचना देने वाले यह लोग हैं तो सवाल खड़ा होता है कि एक पत्रकार के द्वारा झुंझुनू जिला सूचना जनसंपर्क अधिकारी के यहां से झुंझुनू जिला मुख्यालय पर कार्यरत पत्रकारों की महज सूची मांगी गई थी उसके लिए उसको निदेशक सूचना एवं संपर्क विभाग के यहां तक अपील लगानी पड़ती है क्योंकि उसको सूचना उपलब्ध नहीं करवाई जाती और वही लोक सूचना अधिकारी झुंझुनू जिला कलेक्ट्रेट के यहां से यदि यह गोपनीयता भंग हुई है तो वहां पर भी सवाल खड़ा होता है कि पहले आरटीआई लगाने वाले व्यक्ति को तो सूचना दी नहीं गई बल्कि किस चीज की सूचना मांगी गई है उस व्यक्ति को पहले किस आधार पर वरीयता देते हुए तुरंत प्रभाव से सूचना उपलब्ध करवा दी गई। वही पत्रकार नीरज सैनी ने जानकारी देते हुए बताया कि जब से यह मामला चल रहा है तब से उनके ऊपर लगातार दबाव बनाने के प्रयास किया जा रहे हैं जिसके चलते उनका मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का हर तरफ से प्रयास किया जा रहा है। वहीं प्रशासन में बैठे हुए यह प्रभावशाली लोग कभी भी हमला कारित करवा सकते हैं या किसी भी प्रकार का लांछन लगवाने का कुचक्र भी रच सकते हैं क्योंकि इस मामले में उन पर लगातार दबाव डाला गया लेकिन वह किसी भी कीमत पर झुकने के लिए तैयार नहीं हुए हैं वही जो जिम्मेदार लोग हैं उनके खिलाफ प्रशासन द्वारा कोई भी ठोस कार्रवाई सामने अभी तक नहीं आई है।