अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन के पोस्टर का किया विमोचन
सूरजगढ़, आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में गांधी कृषि फार्म सूरजगढ़ में देश की आजादी के लिए 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अंग्रेजों की गोलियों से शहीद होने वाली युवा क्रांतिकारी महिला कनकलता बरुआ व स्वतंत्रता सेनानी भोगेश्वरी फुकनानी का शहादत दिवस मनाया। भारत की आजादी व सामाजिक सुधारों के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाली महान सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, वक्ता, थियोसोफिकल सोसायटी की अध्यक्ष, भारत प्रेमी महिला, कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष, महान स्वतंत्रता सेनानी श्रीमती एनी बेसेंट व मानव जाति को मानवता के सूत्र में बांधने वाले महान संत, जातिवाद, छुआछूत, वर्ण व्यवस्था व अस्पृश्यता के खिलाफ संघर्ष करने वाले महान समाज सुधारक नारायण गुरु की पुण्यतिथि मनाई। हिंसा, नफरत, घृणा, स्वार्थ, आतंक और अशांति के दौर में विश्व में शांति का संदेश देने के लिए विश्व शांति दिवस पर 21 सितंबर को आयोजित किये जाने वाले अंतरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन के पोस्टर का विमोचन किया। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने कहा- यह आजादी हमें यूं ही नहीं मिली। इसके लिए न जाने कितने क्रांतिकारी फांसी के फंदे पर झूले थे और न जाने कितनों ने गोली खाई थी, तब जाकर हमने यह आजादी पाई थी। देश ऋणी है उन क्रांतिवीरों का जिन्होंने देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। कुछ अमर हो गये तो कुछ इतिहास के पन्नों में दफन हो गये। स्वतंत्रता सेनानी भोगेश्वरी फुकनानी को 60 वर्षीय शहीद के नाम से जाना जाता है। वह आठ बच्चों की मां थी। उन्होंने देश की आजादी के लिए भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़ चढ़कर भाग लिया था। वीरता और साहस का परिचय देते हुए 20 सितंबर 1942 को अंग्रेजों की गोलियों का सामना करते हुए शहादत पाई। वीर बाला के नाम से मशहूर 17 वर्षीय क्रांतिकारी कनकलता बरुआ भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अंग्रेजों की गोलियों का सामना करते हुए शहीद हो गई। भारत की मिट्टी से गहरा लगाव रखने वाली प्रख्यात समाजसेवी, लेखिका, वक्ता, महिला अधिकारों की समर्थक, थियोसोफिस्ट, कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष और स्वतंत्रता सेनानी एनी बेसेंट ने पूरा जीवन सामाजिक सुधारों के लिए भारत देश को समर्पित किया। एनी बेसेंट ने कई मौकों पर अन्याय का कड़ा प्रतिरोध करके ‘आयरन लेडी’ की छवि बनाई थी। एनी बेसेंट को भारत से अद्भुत प्रेम व अनुराग था। भारतवासियों द्वारा उन्हें दिया गया सम्मान एवं आदर भी दर्शनीय था। देशवासियों ने उन्हें माँ वसंत कह कर सम्मानित किया तो महात्मा गांधी ने उन्हें वसंत देवी की उपाधि से विभूषित किया। आध्यात्मिक और राजनीतिक रूप से सोये हुए भारत को जगाने के लिए भारत को अपना घर कहने वाली एनी बेसेंट ने दुनिया भर के धर्मों का गहन अध्ययन किया और भारत को अपना घर माना। भारत में फैली सामाजिक बुराइयों जैसे बाल विवाह, छुआछूत, जाति व्यवस्था, विधवा विवाह आदि के लिए उन्होंने जीवनपर्यंत संघर्ष किया। एनी बेसेंट ने भारत को एक सभ्यता के रूप में स्वीकार किया तथा भारतीय राष्ट्रवाद को अंगीकार किया था। धार्मिक, शैक्षणिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में उन्होंने राष्ट्रीय पुनर्जागरण का कार्य शुरू किया। भारत की राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए उन्होंने होमरूल आंदोलन का नेतृत्व किया। स्वतंत्रता आंदोलन में एनी बेसेंट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एनी बेसेंट ने ब्रिटिश सरकार की आलोचना करने के लिए अखबार का सहारा लिया। उन्होंने न्यू इंडिया नामक समाचार पत्र प्रकाशित किया। जिसमें उन्होंने ब्रिटिश शासन की नीतियों का विरोध किया। सरकार की आलोचना और विरोध के कारण उन्हें जेल भेज दिया गया। बेहद खुले विचारों वाली एनी बेसेंट हर बुराई के खिलाफ खुलकर आवाज उठाती थी। ऐसी महान शख्सियत को हम बार-बार नमन करते हैं। कार्यक्रम में आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी, चाँदकौर, सुनील गांधी, रवि कुमार, दिनेश कुमार, सोनू कुमारी, अंजू गांधी, अमित कुमार, संजय कुमार, पिंकी नारनोलिया, तनीषा आदि अन्य लोग मौजूद रहे।