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शेखावाटी उत्सव-2025′ का दूसरा दिन : प्रतियोगिताए हुई आयोजित

शहरवासियों ने बड़ी संख्या में किया योग, मेहंदी, रंगोली, चित्रकला, रस्साकशी की

सीकर, सीकर में जयपुर रोड स्थित चल रहे ‘शेखावाटी उत्सव-2025’ के दूसरे दिन रविवार सुबह स्मृति वन में योग कराया गया। अरबन हाट में फोटो प्रदर्शनी लगाई गई। ओपन थियेटर में मेहंदी, रंगोली, चित्रकला की प्रतियोगिता हुई। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के बीच में रस्साकशी की प्रतियोगिता भी हुई। रंगोली प्रतियोगिता में आलिया बानो प्रथम सुवर्णा करपे द्वितीय तथा प्रियांशु शर्मा तृतीय स्थान पर रही। चित्रकला प्रतियोगिता में भीमराज सांडवा प्रथम यथार्थ माथुर आदित्य तथा पूजा प्रजापत तृतीय स्थान पर रहे। मेहंदी प्रतियोगिता में यशवी मीणा प्रथम रामा पारीक द्वितीय तथा फरजाना तृतीय स्थान पर रहे। रस्साकशी प्रतियोगिता का आयोजन प्रिंट मीडिया तथा डिजिटल मीडिया के मध्य हुआ।

शहरवासियों ने बड़ी संख्या में किया योग

स्मृति वन सीकर में पर्यटन विभाग तथा वन विभाग द्वारा रविवार को ही शेखावाटी उत्सव 2025 के उपलक्ष में योग का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने योग गुरु महावीर जांगिड़ के नेतृत्व में योग किया। कार्यक्रम में अनु शर्मा,सहायक निदेशक,पर्यटन,अमित देवंदा,क्षेत्रीय वन अधिकारी, प्रकाश राम गोदारा ज़िला खेल अधिकारी, प्रियंका पारीक,उपनिदेशक,सामाजिक न्याय एवम् अधिकारिता विभाग, अरुण भूकर अध्यक्ष,व्यापार मंडल,अरविंद कुमार, आरोग्यम योग संस्थान,सुनिल कुमार,आनंद भारद्वाज, नरेश यादव,
उपस्थित रहे।

लुप्त होते भांड बहरूपिए

शेखावाटी उत्सव में चित्तौड़गढ़ से अपनी कला दिखाने आए भांड जाति के बहरूपिया कलाकार विक्रम भांड बहरूपिया ने बताया कि बदलते जमाने के साथ-साथ उनकी बहरूपिया की कला लुप्त होती जा रही है। बहरूपिए अपनी कला और वेशभूषा से लोगों का मनोरंजन करते थे लेकिन आज मोबाइल फोन ने उनकी जगह ले ली और लोग इन्हें भूल गए हैं। बहरूपियों की कला विलुप्त होती जा रही है जिसके कारण उनके सामने अपने रोजी-रोटी का संकट भी पैदा हो गया है।

कठपुतलियों का खेल दिखा रहे कलाकार विकास भाट ने बताया कि उनकी चार पीढियां से लोक संस्कृति कार्यक्रमों में कठपुतली नृत्य दिखाने का काम किया जा रहा। अभी सिनेमा-ओटीटी प्लेटफॉर्म का जमाना है और वेब सीरीज ने कठपुतलियों की आहट छीन ली है। लेकिन उनके गांव के युवाओं ने अपनी विलुप्त हो रही इस प्राचीन कला को सुरक्षित करने का बीड़ा उठाया है। कार्यक्रमों में जाकर कठपुतलियां नचाते हैं।

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