
सीकर, गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम 1994 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए शुक्रवार को स्वास्थ्य भवन के सभागार में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ अशोक महरिया की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यशाला में सीएमएचओ डॉ अशोक महरिया ने कहा कि सोनोग्राफी सेंटरों पर पीसीपीएनडीटी एक्ट की पालना हो और समय पर लाभार्थी को योजना का लाभ मिले तथा रिपोर्टिंग में बैकलॉग नहीं रखने के निर्देश दिए। उन्होंने जिले के लिंगानुपात में सुधार पर जोर देते हुए कहा कि लिंग परीक्षण करने वालों की सूचना विभाग को दें, ताकि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकें। उन्होंने कहा कि यह सभी के सहयोग से संभव हो पाया है कि जिले के बाल लिंगानुपात में सुधार हुआ है। बाल लिंगानुपात के इस स्तर को बनाए रखना है। उन्होंने गुणवत्तापूर्ण सेवाओं और समय पर रिपोर्टिंग के लिए स्टाफ को पाबंद किए जाने पर जोर दिया।
कार्यशाला में उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ निर्मल सिंह ने लिंगानुपात की समानता के लिए हर संभव प्रयास पर जोर दिया और सोनोग्राफी संचालकों को सहयोग के लिए तत्पर रहने के निर्देश दिए। लिंग परीक्षण को सामाजिक और कानूनन दृष्टि से निषेध बताया और केन्द्र पर मुखबिर योजना के व्यापक प्रचार प्रसार की आवश्यकता जताई।
आरसीएचओ डॉ विशाल सिंह ने मॉ वाउचर योजना के तहत द्वितीय व तृतीय तिमाही वाली गर्भवती महिलाओं की वाउचर देने पर शीघ्र सोनोग्राफी कर रिपोर्ट उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने सोनोग्राफी कराने वाले गर्भवतियों को टीकाकरण के लिए प्रेरित करने और जिन अस्पतालों में प्रसव की सुविधा है, उनमें टीकाकरण सुविधा शुरू किए जाने के निर्देश दिए।
डीपीसी पीसीपीएनडीटी नंदलाल पूनिया ने अधिनियम और गाइड लाइन की जानकारी देते हुए फार्म एफ की पूर्ति समय पर कर के भिजवाने, एमटीपी, एक्टिव ट्रेकर, जीपीएस आदि के बारे में बताया। बैठक में बीसीएमओ पिपराली डॉ अजीत शर्मा, विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ अंकूर सांगवान सहित जिले के सभी सोनोग्राफी सेंटरों के संचालक व प्रतिनिधि मौजूद रहे।