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Video News – मासूम की जान बचाने के लिए झुंझुनू पुलिस ने जुटाए 19 लाख रुपए

23 माह के ह्रदयांश को जान बचाने के लिए दुनिया के सबसे महंगे 17. 50 करोड़ के इंजेक्शन की थी दरकार

झुंझुनू, कौन कहता है कि पुलिस वालों के दिल नहीं होता जब बात इंसानियत पर आती है तो पुलिस वालों का दिल भी मोम की तरह पिघल जाता है। शेखावाटी क्षेत्र में कुछ ऐसे उदाहरण हाल ही में देखने को मिले हैं जिसमें भारतीय पुलिस सेवा के युवा अधिकारियों के नेतृत्व में पुलिस की संवेदनशीलता देखने को मिली हैं। चाहे वह चूरू में एसपी जय यादव के नेतृत्व में संविदा पर सफाई कार्मिक की पुत्री की शादी में लाखों का भात भरने की बात हो, ऐसा ही मामला सीकर में भी नजर आया था। अब झुंझुनू जिला पुलिस अधीक्षक राजर्षि राज वर्मा के नेतृत्व में पुलिस की संवेदनशीलता का बड़ा उदाहरण सामने आया है। जिसमें धौलपुर का 23 माह का बच्चा मौत से जंग लड़ रहा था और उसको दुनिया के सबसे महंगे इंजेक्शन जिसकी कीमत साढे 17 करोड़ थी, की आवश्यकता थी। सामान्य सी बात है इतनी बड़ी धनराशि परिवार के पास नहीं थी जिसके चलते सोशल मीडिया पर क्राउड फंडिंग के लिए एक मुहिम चलाई गई और झुंझुनू पुलिस ने भी इसमें बढ़ चढ़कर अपना योगदान दिया है। झुंझुनू जिला पुलिस अधीक्षक राजर्षि राज वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि झुंझुनू पुलिस के कांस्टेबल से लेकर एसपी तक के कार्मिकों ने इसमें अपना योगदान दिया है और इस पूरी मुहीम में 18 से 19 लख रुपए जुटाए जा चुके हैं। वही इस अवसर पर जिला पुलिस अधीक्षक ने आम लोगों के साथ अन्य सरकारी विभागों में कार्यरत लोगों से भी ऐसी मुहीम में जुड़ने का आह्वान किया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि धौलपुर के सब इंस्पेक्टर के 23 माह के बेटे ह्रदयांश को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नामक दुर्लभ बीमारी थी। चंद रोज पहले ही मासूम ह्रदयांश को 17.50 करोड़ रुपए का इंजेक्शन लगा दिया गया है जयपुर के जेके लोन अस्पताल में भर्ती 23 महीने के ह्रदयांश के लिए जोल गेनेस्मा इंजेक्शन अमेरिका से लाया गया। अमेरिका की कम्पनी को यह राशि परिवार तीन किस्तों में चुकाएगा। पहली किश्त 9 करोड़ की चुकाने पर यह इंजेक्शन कम्पनी ने भेज दिया लेकिन अभी भी बाकि की राशि चुकाने के लिए मुहीम चल रही है। धौलपुर पुलिस अधीक्षक ज्योति उपाध्याय ने परिवार की मदद के लिए यह मुहीम चलाई थी। क्राउड फंडिंग से इतनी बड़ी राशि के सहयोग को देखकर बरबस ही गोस्वामी तुलसीदास की ये पक्ति याद आ जाती है -‘परहित सरिस धर्म नहीं भाई, परपीड़ा सम नहीं अधमाई’। शेखावाटी लाइव के लिए झुंझुनू से नीरज सैनी की रिपोर्ट

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